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World Languages, 06.09.2021 20:50 kendall984

गाँधी जी के आश्रम का एक नियम था कि सब लोग अपने बर्तन स्वयं साफ़ करें| रसोई के बर्तन कुछ लोग बारी-बारी से धोया करते थे |एक दिन गाँधी जी ने खुद बडे बडे
खाना पकाने वाले पतीलों को साफ़ करने की जिम्मेदारी ली व उनमें लगी कालिख को खूब रगडकर साफ़ करने लगे तभी उनकी पत्नी कस्तूरबा वहाँ आईं और उन्हे रोकते ही बोली
“यह काम आपका नहीं ,इसे करने के लिए और बहुत से लोग यहाँ हैं|” गांधी जी ने उनकी बात मान लेने में ही बुद्धिमानी समझी व उस पतीले की सफाई का काम कस्तूरबा को देकर चले गए | जब तक बर्तन एकदम चमकते न हो, गांधी जी को संतोष नहीं होता था|गांधी जी को इस तरह काम करते देख सभी खुद ब खुद काम करने में जुट गए|
दूसरों से काम करवाने के लिए, प्रेरित करने के लिए, पहले स्वयं उस काम का उदाहरण बनना
चाहिए |
1. गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिये ?

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You know the right answer?
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